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बहुजनों के लाखों अखबार टीवी न्यूज चैनल से सरकार क्यू डरती है

बहुजनों के लाखों अखबार टीवी न्यूज चैनल से सरकार क्यू डरती है इस रिपोर्ट का लोकवंचित वार्ता सपोट करता अगर इस तरह बहुजन  के विचारो , बंध करेंगे तो एक दिन ऐसा आएंग की सरकार से सवाल करने वाले नहीं  रहेंगे जागो मीडिया ? 

नोटिस के बारे में जानकारी देते हुए  नेशनल दस्तक ने ट्वीट कर कहा, “नेशनल दस्तक को बंद करवाना चाहती है सरकार. 3 अप्रैल को यूट्यूब ने नोटिस भेजा था. आर्टिकल 19 को भी नोटिस है. आचार संहिता में ये सब हो रहा है. लाखों अखबार टीवी न्यूज चैनल चल रहे. बहुजनों के नेशनल दस्तक से इतना डर.”गौरतलब है कि नेशनल दस्तक खुद को ‘ऑनलाइन मीडिया’ और ‘दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, महिलाओं, किसानों, अल्पसंख्यकों और हाशिए पर रहने वाले लोगों की मजबूत आवाज’ बताता है. इसका एक्स अकाउंट सिंह को ‘समर्थन’ देने और उनके राजनीतिक अभियान को आर्थिक मदद करने के लिए अपील पोस्ट कर रहा है.

न्यूज़लॉन्ड्री  “मुझे इस कार्रवाई का कोई कारण नहीं बताया गया है. अगर मुझे बताया जाता कि ऐसी कार्रवाई क्यों की जा रही है तो शायद मैं इसमें सुधार भी कर देता.”

उन्होंने आगे कहा, “यह उन पत्रकारों की आवाज़ को कुचलने का प्रयास है जो सरकार से सवाल करते हैं और उसकी जवाब देही तय करते हैं. खासकर नेशनल दस्तक जैसे समाचार पोर्टल, जो सबसे हाशिए पर मौजूद लोगों की आवाज है. ये वो आवाज़ें हैं जिन्हें मुख्यधारा की ख़बरों में जगह नहीं मिलती.”

यूट्यूब द्वारा भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि हटाने का आदेश संशोधित आईटी नियम, 2021 के नियम 15 (2) और आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69 ए के तहत सूचना और प्रसारण मंत्रालय से आया है.

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