हाइलाइट्स
किसी भी काम को स्थगित (रोकने) करने के लिए स्थगनादेश का सहारा लिया जाता है.
अस्थायी रूप से किसी काम को रोकने के लिए अंतरिम स्थगनादेश दिया जाता है.
अदालत की कार्यवाही के बहुत से शब्दों का सही अर्थ अमूमन आम लोगों को समझ में नहीं आता है. ऐसा ही एक शब्द है इंटरिम स्टे ऑर्डर या अंतरिम स्थगनादेश (Interim Stay Order). किसी भी काम को स्थगित (रोकने) करने के लिए स्थगनादेश का सहारा लिया जाता है, लेकिन केवल कुछ समय के लिए या अस्थायी रूप से किसी काम को रोकने के लिए अंतरिम स्थगनादेश बिना किसी जांच के दिया जाता है. मान लीजिए जमीन के किसी हिस्से को लेकर दो पक्षों में कोई विवाद है. इनमें से एक पक्ष उस जमीन को विवाद होने के बाद भी बेच दे या कोई निर्माण कर ले तो दूसरा पक्ष उसे रोकने के लिए अदालत की शरण में जा सकता है.
अगर अदालत उस मामले में अंतरिम स्थगनादेश जारी कर दे तो पहला पक्ष उस अवधि में न तो कोई निर्माण नहीं कर पाएगा अथवा उसे बेच पाएगा. यहां पर जो भी रोक है वो अस्थायी होगी. अगर उसे स्थगनादेश मिलता है तो भी पहला पक्ष कोई काम नहीं कर पाएगा. यहां पर क्योंकि आदेश अंतरिम नहीं है, इसलिए जब तक मामले का निपटारा न हो जाए तब तक यह लागू रहेगा. अगर न्यायधीश द्वारा ऐसे आदेश को दिए जाते समय अनिश्चित समय का उल्लेख नहीं किया गया है तब यह आदेश छह माह के लिए होता है.
क्या है स्टे ऑर्डर
यह जानना जरूरी है कि स्टे ऑर्डर की शक्तियां क्या होती हैं और यह कहां और कब इस्तेमाल होता है. स्टे ऑर्डर अदालत द्वारा जारी किया जाने वाला एक आदेश है, जो पहले जारी दिए गए अदालती आदेश, विवादित मामलों या किसी कानूनी कार्रवाई को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. एक बार अगर किसी मामले में स्टे ऑर्डर दे दिया जाता है तो उस मामले में होने वाली कार्रवाई को रोक दिया जाता है. स्टे ऑर्डर तब तक लागू रहता है जब तक अदालत उस मामले में किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच जाती.
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क्या है इससे संबंधित कानून
स्टे ऑर्डर मुख्य तौर पर सिविल प्रक्रिया संहिता द्वारा शासित होता है. अगर किसी को लगता है कि उसके साथ कोई अन्याय हो रहा है तो वह अदालत से स्टे ऑर्डर की मांग कर सकता है. असल में स्टे ऑर्डर के कई प्रकार होते हैं. जैसे निष्पादन पर रोक. यह आदेश ऐसे आपराधिक मामलों से संबंधित होता है, जिनमें किसी शख्स को दोषी ठहराया जाता है.ऐसे में उस व्यक्ति की सजा पर रोक लगाई जाती है. इसी तरह एक है, कार्यवाही पर रोक. इसके तहत किसी भी मामले में सभी कानूनी कार्यवाहियों पर अस्थायी रोक लग जाती है.
पेश करने होते हैं सबूत
स्टे ऑर्डर लेने के लिए भी अदालत में सबूत प्रस्तुत करने होते हैं. यह साबित करना होता है कि यदि किसी मकान पर किसी व्यक्ति द्वारा कब्जा किया जा रहा है तो यह अवैध है. जिस व्यक्ति ने स्टे ऑर्डर के लिए निवेदन किया है उस व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उसके पास पहले से मकान पर कब्जा है और किस नाते उसका कब्जा वैध है. उसके कब्जेदार को यह साबित करना होता है कि उसका कब्जा किस नाते हैं और कब से वह उस संपत्ति पर काबिज है.
न्यायालय इस बारे में एप्लीकेशन प्राप्त होने पर मामले की गंभीरता को देख कर जल्द से जल्द सुनवाई करती है. यदि कोई मामला अत्यधिक गंभीर है तो उस मामले में 15 से 20 102 दिन के भीतर ही सुनवाई हो जाती है. लेकिन अगर कोई मामला अधिक गंभीर नहीं है तब ऐसी सुनवाई 102 दिनों के भीतर भी की जाती है.
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FIRST PUBLISHED : January 16, 2024, 16:13 IST